राधा के श्याम की नहीं,मुझे तो, मीरा के कृष्ण की तलाश थी | Not Radha’s Shyam, I was looking for Meera’s Krishna | Dipa Sahu

राधा के श्याम की नहीं,मुझे तो,  मीरा के कृष्ण की तलाश  थी

  • राधा के श्याम की नहीं,मुझे तो,
  • मीरा के कृष्ण की तलाश  थी,

                    प्रेम भी उपासना भी, 
                   उस प्रेम की आश थी

  • द्रोपदी के मित्र जो,
  • उस सखा,कृष्ण की तलाश  थी।

                      वो सौहाद्र भी वो खयाल भी उलझे मन का सुलझा हाल भी, 
                       उस द्रोपदी के कृष्ण की तलाश थी

  • राधा का श्याम कोई भी बन जायेगा,
  • द्रोपदी का कृष्ण बनना है मुश्किल
  • द्रोपदी के उस कृष्ण की तलाश थी।

                     राधा का श्याम नहीं मुझे तो,
                     मीरा के कृष्ण की तलाश थी,

  • बिन स्पर्श स्पर्शरहित ,
  • उस मन की तलाश थी,
  • मन को छूकर  चीर बांधा था,
  • द्रोपदी ने हाँथो में,
  • द्रोपदी के उस कृष्ण की तलाश थी

              वक़्त रहते वो हर वक़्त साथ थे,

              अस्मिता पे बन आये तो,
              अम्बर और आकाश थे,
              मित्र और सखा,प्रेम से भी कंही पवित्र,
              द्रोपदी के कृष्ण की तलाश थी

  • राम समझकर मैंने मोहन को पाया,
  • पर निकला छलिया वो,
  • तब ज़िन्दगी में मैं हताश थी,
  • द्रोपदी के कृष्ण की तलाश थी।

               मन की बातों को जानकर,

               मुझे पहचानकर,
               नेत्रों  से छलकते उन अश्रुओं में,
               द्रोपदी के कृष्ण की तलाश थी।

  • एक मित्र ऐसा प्रेम से परे,स्पर्श से परे,
  • उपासना और निश्छलता से खरे,
  • द्रोपदी के उस कृष्ण की तलाश थी,
  • द्रोपदी के उस कृष्ण की तलाश थी। 

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