क्या रिटायर होने के बाद आर्मी डॉग्स को मार दिया जाता है
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army dog |
कुत्ते शुरू से ही किसी भी सेना का एक अहम हिस्सा रहे है । 1959 में पहली बार कुत्तों को सेना में शामिल करना शुरू किया और तभी से लेकर हर बार ये सेना के लिए फायदेमंद साबित हुए है।
भारतीय सेना में शामिल कुत्ते आतंकवाद विरोधी अभियानों में सैनिकों की सहायता करते हैं और जब वे पैदल सेना गश्त इकाइयों का हिस्सा होते हैं तो बम और इत्यादि चीज़ों का पता लगाते हैं।
एक समय था जब रिटायर होने के बाद इन कुत्तों को मार दिया जाता था क्योकिं सेना की कई ख़ुफ़िया जानकारी इनके पास होती थी और ऐसे में किसी दुश्मन के हाथ लगने पर इसके परिणाम काफी गंभीर हो सकते थे।
लेकिन अब ऐसा नहीं होता है। भारतीय सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद के अनुसार सेना ने 2015 में सरकार की मंजूरी के बाद जानवरों को मारना बंद कर दिया है। हालाकिं कई कुत्तों को कई बार जांच के दौरान बुरी स्थिति में पाया गया और सेना अपने इन सैनिकों को इस तरह की स्थिति में नहीं देखना चाहती थी इसलिए उन्हें यह कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा।
अब सेना खुद इन रिटायर कुत्तों की देखभाल करती है। अब सेना ने मेरठ में रिटायर कुत्तों को रखने के लिए एक स्थान बनाया है जहां पर इनकी देखभाल की जाती है।
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