“कॉलेज के दोस्त और मेरे टीचर”
वो दोस्त बड़े याद आये,
साथ जिनके,
वो कॉलेज का टेबल ,
बाटकर बैठते थे,
आते थे जब यादव सर् ,
मुस्कान बिखेरते थे,
उनकी मुस्कान ,
हमारे क्लास की शान थी
वो डाँटते भी अगर तो,
प्यार भरी मुस्कान थी,
डांटना तो उन्हें आता ही नहीं,
हम बच्चो के वो पहचान थे,
और गोयल मैंम,
याद है दोस्तो,
वो तो टीचर नही,
दोस्त हमारी हैं
प्यार से भी वो प्यारी हैं,
मीठी सी मुस्कान,
ममता से भरी न्यारी हैं,
पता है,यादव सर् से,
“बेटा ” सुनने को तरसते थे,
कभी कभी ही वो “बेटा” कहते थे,
कितनी वो हमारी शरारते सहते थे,
पर फिर भी प्यार से ही बाते करते थे,
शोर शराबा हल्ला गुल्ला,
100 -100 बच्चे कमरा था फुल,
मस्ती हमारी जाती नही थी,
टीचर आते थे जैसे कमरे मे,
हो जाती थी सिट्टी बिट्टी गुल,
एक एक बच्चो का नाम था याद
हमारे टीचर की बात थी खास,
Dipa sahu