मेरे आवाज़ मेरे अल्फ़ाज़.
मुहब्बत किसी की बन जाऊँ___
खुद से ज्यादा कोई मुझे चाहे,
मैं भी ज़िन्दगी बन जाऊँ।
हसने रोने का हो असर
मै भी बंदगी बन जाऊँ।
चाहे कोई इतना,कि नज़रों में,
उसके बस जाऊँ।
एक नज़र जो देखे मुझे,
बाँहो में उसके सिमट जाऊँ।
कि काश, मैं भी उसके
मुहब्बत में पड़ जाऊँ।
खिंच मेरा आँचल पास बुलाले,
आगोश में उसके मिट जाऊँ।
माथे पे लबो का स्पर्श उनका,
और मुहब्बत में मैं संवर जाऊँ।
इश्क़ में नशा हो उनके,
बस उनपर बस उनपर ही मर जाऊँ।
मेरे गेशुओ से उनका खेलना,
और मैं ठंडी छाँव बन जाऊँ।
भीगे इन बालो का पानी,
उनके गालो पे टपकाउं।
नाराज़ ज़रा हो जाएं तो,
अटखेलियों से अपने मनाऊँ।
मुहब्बत में ज़िन्दगी बन जाऊँ।
मुहब्बत में ज़िन्दगी बन जाऊँ।
सांसे किसी की और धड़कन चुराऊँ।
मैं भी अल्लाह,
मुहब्बत किसी की बन जाऊँ।
मुहब्बत किसी की बन जाऊँ।
(Dipa Sahu)